चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने 31 मई, 2025 को सिंगापुर में ब्लूमबर्ग और रॉयटर्स को एक साक्षात्कार दिया। मौका था शांगरी-ला वार्ता का। यह ट्रैक वन इंटर-गवर्नमेंटल सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस है, जो हर साल सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय सामरिक अध्ययन संस्थान (आईआईएसएस) द्वारा आयोजित की जाती है। इस साक्षात्कार के लिए जो समय, स्थान और मीडिया का चयन किया गया, वह आश्चर्यजनक तो था, लेकिन गलत नहीं था।
सच तो एक न एक दिन बताना ही था। मुझे लगता है कि ज्यादा अच्छा यह होता कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाता और प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री ऑपरेशन सिंदूर पर बयान देते तथा विपक्ष को चर्चा के लिए आमंत्रित करते। हालांकि बयान को लेकर जनरल चौहान और विदेश सचिव विक्रम मिसरी को ट्रोल किया जाना काफी दुखद था।
नफा और नुकसान
जनरल चौहान बिना किसी उच्चस्तरीय निर्देश के ऐसी बात नहीं कह सकते हैं। उन्होंने सीधी और सरल बातें कहीं कि भारतीय सेना ने अपने उद्देश्य को प्राप्त किया, लेकिन उसे कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि 7 मई को सामरिक स्तर पर कुछ गलतियां हुईं, लेकिन सैन्य अधिकारियों ने फिर से रणनीति बनाई और भारत ने 9 एवं 10 मई की रात को पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए नए सिरे से हमला किया। सीडीएस ने नुकसान के बारे में तो नहीं बताया, लेकिन स्वतंत्र विशेषज्ञ और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, भारत को तीन राफेल, एक सुखोई और एक मिग विमान का नुकसान हुआ।
‘रणनीतिक गलतियों’ और ‘नुकसान’ वाले मुद्दे का विश्लेषण सैन्य विशेषज्ञों द्वारा किया जाना जरूरी है, न कि टीवी पर बिना पूरी जानकारी के होने वाली बहस में। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी (कुछ सत्यापित, कुछ नहीं) से कुछ बातें स्पष्ट हैं-भारतीय लड़ाकू विमान और मिसाइलों ने 7 मई की अलसुबह हमला कर पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया।
पाकिस्तान ने भी 8 मई को जवाबी कार्रवाई की और भारत पर ड्रोन से हमले किए। पाकिस्तान ने गाइडेड मिसाइल भी तैनात की। भारतीय विमान 8 मई को गायब हो गए थे। पुणे में 4 जून को सीडीएस द्वारा दिए गए बयानों से ऐसा लगा कि भारतीय विमान अपने ही हवाई क्षेत्र में गायब हो गए और दूसरे विमानों को 8 तथा 9 मई को जमीन पर उतार दिया गया।
दोबारा रणनीति बनाने के बाद भारतीय विमान, मिसाइल और ड्रोन ने 9 और 10 मई को फिर से हमले किए। भारतीय विमान ने अपने हवाई क्षेत्र में रहते हुए ब्रह्मोस मिसाइल दागे और पाकिस्तान के 11 सैन्य ठिकानों पर हमला किया। 10 मई को कार्रवाई रोक दी गई।